RAJESH CHANDER SAXENA
New member
- Dealer Name
- ARIHANT INFRRA REALTORS PVT.LTD., REGD. OFFICE: 601, 6TH FLOOR, PLOT NO. 17, SACHDEVA TOWER, COMMUNITY CENTRE, KARKARDOOMA, DELHI-110 092
- Company Name
- ARIHANT INFRRA REALTORS PVT.LTD., REGD. OFFICE: 601, 6TH FLOOR, PLOT NO. 17, SACHDEVA TOWER, COMMUNITY CENTRE, KARKARDOOMA, DELHI-110 092
- Customer Care Number
- +919953551157
- Loss Amount
- 58120
- Ratings
- 3.00 star(s)
- Opposite Party Address
- ARIHANT INFRRA REALTORS PVT.LTD., REGD. OFFICE: 601, 6TH FLOOR, PLOT NO. 17, SACHDEVA TOWER, COMMUNITY CENTRE, KARKARDOOMA, DELHI-110 092
उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग - द्वितीय,
गौतम बुद्ध नगर
परिवाद संख्या /2025
विवरणिका / Index
क्रमांक संलग्नक का विषय संलग्नक संख्या
1. उ.प्र. सरकार के जनसुनवाई पोर्टल पहला,
पर मामले के निपटान की सूचना दूसरा
तथा दी गए अतिरिक्त रजिस्ट्रेशन
शुल्क की रसीद
2. 17.8.18 के ALLOTMENT तीसरा से
LETTER का पेज 1,11,12 पांचवां
3. दि.30/8/18 के OFFER के छठा से
क्र. 8 पर गलत रिजस्ट्री-समय आठवां
4. 6/7, 7/7 तथा 8/7/2020 की नवां से
ईमेल्स,रु 58120/-के दावे हेतू ग्यारहवां
5. रु 3,03,400/- 18% ब्याज के बारहवाँ से
दावे संबंधी साक्ष्य के 4 पृष्ठ पंद्रहवां
उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग - द्वितीय,
गौतम बुद्ध नगर
परिवाद संख्या /2025
निम्नलिखित मामले में :-
राजेश चन्द्र सक्सेना, पुत्र स्व. कैलाश नरायन सक्सेना, उम्र 66 वर्ष, निवासी ई-1106, अरिहंत आर्डेन, सैक्टर-1, ग्रेटर नोएडा पश्चिम-201 306
- परिवादी
बनाम
अरिहंत इन्फ्रा रियलटर्स प्राइवेट लिमिटेड, 601, छठा तल, प्लाॅट नंबर 17, सचदेवा टाॅवर, काम्यूनिटी सेंटर, कड़कड़डूमा, दिल्ली
- विपक्षी
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 की धारा 35 तथा 41(i) के तहत फाइल किए गए इस परिवाद का विवरण
1. परिवाद के हेतू का विवरण जिसके विरुद्ध
यह परिवाद संस्थित किया गया है
कि विपक्षी ने कामतः और जानबूझकर परिवादी द्वारा अरिहंत आर्डेन, सेक्टर-1, ग्रेटर नोएडा पश्चिम में खरीदे गए फ्लैट संख्या ई-1106 की रजिस्ट्री कराने में केवल अपने निजी कारणोंवश जिसमें परिवादी की कोई गलती नहीं थी, असाधारण विलम्ब कारित कर आवश्यक सेवाएं प्रदान करने में कोताही बरती जिस कारण से यह परिवाद हर्जाने, अतिरिक्त व्यय की गई धनराशि तथा ब्याज वसूल करने के लिए संस्थित करना पड़ रहा है ।
2. क्षेत्राधिकार
कि परिवादी यह निवेदन करता है कि
परिवाद का कारण/हेतू उपभोक्ता विवाद
प्रतितोष आयोग - द्वितीय, गौतम बुद्ध
नगर के सक्षम क्षेत्राधिकार के अन्तर्गत
उत्पन्न हुआ है इसलिए परिवादी द्वारा इस
माननीय आयोग का प्रश्रय लेना न्यायसंगत
है । परिवादी सामान्यतया अपने इसी फ्लैट
संख्या ई-1106, अरिहंत आर्डेन में ही निवास
करता है ।
3. मर्यादा
यह भी उद्घोषित किया जाता है कि परिवादी
ने पहले इस मामले के निस्तारण हेतू सीधे
कोर्ट आने के स्थान पर त्वरित निपटान हेतू
न्यायालय के हस्तक्षेप के बगैर ही साक्ष्य के
आधार पर जिस तरह बुलडोज़र चलाने
तक की कार्रवाई उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा
तुरंत कर दी जाती है उसी तर्ज पर मेरे इस
छोटे से मामले का भी तुरंत निपटान कर
दिया जाएगा परन्तु समुचित सरकार के
जनसुनवाई पोर्टल से दिनांक 18/01/2025
को मुझे मेरे परिवाद के निस्तारण का SMS
मिला जिसमें 2 पृष्ठीय दिनांक 16/01/2025
की आख्या के अन्त में लिखा है कि सक्षम
न्यायालय द्वारा निपटान समीचीन होगा
इसलिए यह परिवाद दाखिल किया जा रहा
है।
(बतौर साक्ष्य संलग्नक पहला-दूसरा
(स्क्रीआनशॉट) तथा अतिरिक्त रजिस्ट्रेशन
शुल्क की दिनांक 10/11/2020 की रसीद)
4. मामले के तथ्य
4.1 कि विपक्षी ने अपने दिनांक 17/08/2018 के
ALLOTMENT LETTER द्वारा परिवादी
के दिनांक 04/08/2018 के आधार पर उसे
अपने “अरिहंत आर्डेन” हाउसिंग कॉम्प्लेक्स
के 11वें तल पर अपार्टमेंट संख्या ई-1106
आबंटित की थी । इसी पत्र के पृष्ठ 11-12
पर उल्लिखित मद संख्या 12.0 से लेकर
12.7 तक माननीय महोदय का विशेष रूप से
ध्यानाकर्षण इस आशय से चाहूंगा ताकि
इसका यथाशक्य यथार्थ मूल्यांकन किया जा
सके कि इतनी कठोरतम तथा अव्यवहारिक
शर्तों के चलते परिवादी तथा उसके
परिवारजनों कितना गहन मानसिक तथा
शारीरिक संताप झेला होगा और वह भी 2
अधिक रजिस्टरी में हुए विलंब की अवधि में।
(बतौर साक्ष्य संलग्नक तीसरा,चौथा तथा
पांचवां-पत्र के सुसंगत पेज 1, 11 व 12)
4.2 कि विपक्षी ने परिवादी की सेवा में दिनांक
30.08.2018 को LETTER TO
OFFER HANDOVER CUM
DEMAND जारी किया जिसके पृष्ठ 2 पर
मद संख्या 8 के आखिरी वाक्य में विपक्षी ने
कामतः और जानबूझकर यह गलत बयानी
की कि रजिस्टरी 7-8 दिन में हो जाती है
जबकि उस समय ही उसकी कुछ रजिस्ट्रियां
लम्बित थीं और इस प्रकार परिवादी
अधिनियम की धारा 2 की उपधारा 41(i) के
प्रश्रय के अधीन रजिस्ट्री में वहन किए गए
अतिरिक्त व्यय को मय ब्याज के वापस प्राप्त
करने का हकदार है ।
(बतौर साक्ष्य संलग्नक छठा, सातवां व
आठवां)
4.3 कि क्रमांक4.2 पर किए गए दावे को परिवादी
की दिनांक 06/07/2020 की ईमेल जिसके
उत्तर में विपक्षी की दिनांक 07/07/2018 की
ईमेल से रिजिस्ट्री के लिए परिवादी द्वारा आगे
प्रतीक्षा करने की इस शर्त पर कि “रजिस्टरी
प्रभार में इस बीच यदि कोई बृद्धि होती है तो
उसे विपक्षी वहन करेगा क्योंकि सारा विलंब
विपक्षी की अनुचित व्यापार प्रणाली से हो रहा
था” पर बनी स्पष्ट परस्पर सहमति पर कोई
शक-शुभा की गुंजाइश न छोड़ते हुए परिवादी
ने अपनी दिनांक 8/07/2020 की ईमेल द्वारा
एक बार पुनः पुष्टि भी कर दी थी साथ ही
विपक्षी को आपत्ति उठाने का दूसरा मौका भी
दे दिया था, परन्तु उस समय विपक्षी ने बिना
किसी आपत्ति के इस शर्त को स्वीकार करने
के बाद भी अभी तक इस विषय में अपने
दायित्व का शालीनतापूर्वक निर्वहन करने के
बजाय परिवादी तथा उसके परिजनों को
शारीरिक और मानसिक संताप से गुजरने को
बाध्य कर रखा है इस बात का भी उचित
ध्यान कृपया हर्जाने का निर्धारण करते समय
रखा जाए।
(बतौर साक्ष्य संलग्नक नवां, दसवां व
ग्यारहवां - तीनों ईमेल)
4.4 कि Stamp Duty Amount + Legal
Charges Rs. 2,89,900/- + 13,500/-
पर दिनांक 18.09.2018 से रजिस्ट्रेशन की
तारीख 10.11.2020 तक अनुचित रूप से
अपनी गलत trade practices के चलते
रोककर रखने के कारण कुल धनराशि
रु 3,03,400/- पर 18% ब्याज की दर से
कम 24 माह का ब्याज तथा ब्याज की इस
इस राशि पर रजिस्ट्रेशन की तारीख
10/11/2020 से भुगतान/अदायगी की
तारीख तक कम से कम 18% ब्याज की दर
से का आदेश जारी किया जाय क्योंकि
विपक्षी ने कामतः और जानबूझकर कर
परिवादी के साथ तयशुदा चीजों को भी समय
से न पूरा करके आर्थिक हानि पहुंचाई है ।
दावे के समर्थन में दिनांक 18.09.2018 का
NO DUES CERTIFICATE, Legal
Charges दर्शाती दिनांक 17.09.2018 की
Money Receipt, रजिस्टरी के पहले व
आखिरी पृष्ठ की प्रति जिस पर क्रमशः
Stamp Duty Amount तथा रजिस्टरी की
तारीख दर्शनीय है इसलिए इन सभी को संलग्न
कर रहा हूँ।
(बतौर साक्ष्य संलग्नक बारहवाँ, तेरहवां,
चौदहवां व पंद्रहवां)
5. समाप्त हो चुके उपचार
कि परिवादी उद्घोषित करता है कि विपक्षी को
इस निमित्त दिनांक 21.01.2021 को Final
Notice देने के बाद जिसकी प्राप्ति की
अभिस्वीकृति तक विपक्षी ने नहीं भेजी तथा
जनसुनवाई पोर्टल से भी समस्या का समाधान
न हो पाने के कारण परिवादी के पास इस
परिवाद को संस्थित करने के सिवा
कोई कानूनी उपचार नहीं बचा है ।
6. इस विषय में पहले से किसी कोर्ट में कोई
मामला संस्थित नहीं किया गया है न ही
लम्बित है
परिवादी यह भी उद्घोषित करता है कि उसने
विपक्षी के इस आक्षेपित कृत्य के विरुद्ध किसी
न्यायालय में वाद दाखिल नहीं कर रखा है ।
7. प्रार्थित अनुतोष
उपर्युक्त तथ्यों व परिस्थितियों के दृष्टिगत अति
सादर प्रार्थित है कि यह माननीय आयोग सहर्ष
निम्नलिखित अनुतोष प्रदान कर सकता है:-
अ) रजिस्टरी में खर्च की पूर्ण धनराशि वसूलने के
बाद भी 2 वर्ष से अधिक विलंब तथा ईमेलों
द्वारा तयशुदा शर्त की अवेहलना करके नया
विवाद खड़ा करने तथा क्रमांक 4.2 पर
उल्लिखित रजिस्ट्रेशन के लिए 7-8 दिन की
गलत समयावधि दर्शा कर दुर्भानापूर्वक
परिवादी को फंसाने के लिए रु 5,00,000/- तथा
मानसिक व शारीरिक संताप के लिए मात्र
रु 2,00,000/- के हर्जाने के भुगतान के लिए
आदेश ।
ब) परिवादी द्वारा वहन किए गए अतिरिक्त
रजिस्ट्रेशन शुल्क की राशि रु 58,120/-
दिनांक 10/11/2020 भुगतान की तारीख तक
18% ब्याज सहित परिवादी को यथाशीघ्र
परन्तु 1 माह के भीतर लौटाने का आदेश
स) क्रमांक 4.4 पर दिए गए विवरण के अनुसार
रु 3,03,400/- पर 18% ब्याज की दर से
विपक्षी के विरुद्ध परिवादी को यथाशीघ्र
परन्तु 1 माह के भीतर भुगतान का आदेश
द) इस परिवाद के खर्च के भुगतान का आदेश
च) परिवाद के तथ्यों और परिस्थितियों के दृष्टिगत
ऐसा कोई और / या अन्य आदेश जो इस
माननीय आयोग को समुचित प्रतीत हो
ऑनलाइन शुल्क जमा करने की जानकारी मिलने पर जमा कर दिया जाएगा ।
दिनांक
संलग्नक: विवरणिका / Index के अनुसार
गौतम बुद्ध नगर
परिवाद संख्या /2025
विवरणिका / Index
क्रमांक संलग्नक का विषय संलग्नक संख्या
1. उ.प्र. सरकार के जनसुनवाई पोर्टल पहला,
पर मामले के निपटान की सूचना दूसरा
तथा दी गए अतिरिक्त रजिस्ट्रेशन
शुल्क की रसीद
2. 17.8.18 के ALLOTMENT तीसरा से
LETTER का पेज 1,11,12 पांचवां
3. दि.30/8/18 के OFFER के छठा से
क्र. 8 पर गलत रिजस्ट्री-समय आठवां
4. 6/7, 7/7 तथा 8/7/2020 की नवां से
ईमेल्स,रु 58120/-के दावे हेतू ग्यारहवां
5. रु 3,03,400/- 18% ब्याज के बारहवाँ से
दावे संबंधी साक्ष्य के 4 पृष्ठ पंद्रहवां
उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग - द्वितीय,
गौतम बुद्ध नगर
परिवाद संख्या /2025
निम्नलिखित मामले में :-
राजेश चन्द्र सक्सेना, पुत्र स्व. कैलाश नरायन सक्सेना, उम्र 66 वर्ष, निवासी ई-1106, अरिहंत आर्डेन, सैक्टर-1, ग्रेटर नोएडा पश्चिम-201 306
- परिवादी
बनाम
अरिहंत इन्फ्रा रियलटर्स प्राइवेट लिमिटेड, 601, छठा तल, प्लाॅट नंबर 17, सचदेवा टाॅवर, काम्यूनिटी सेंटर, कड़कड़डूमा, दिल्ली
- विपक्षी
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 की धारा 35 तथा 41(i) के तहत फाइल किए गए इस परिवाद का विवरण
1. परिवाद के हेतू का विवरण जिसके विरुद्ध
यह परिवाद संस्थित किया गया है
कि विपक्षी ने कामतः और जानबूझकर परिवादी द्वारा अरिहंत आर्डेन, सेक्टर-1, ग्रेटर नोएडा पश्चिम में खरीदे गए फ्लैट संख्या ई-1106 की रजिस्ट्री कराने में केवल अपने निजी कारणोंवश जिसमें परिवादी की कोई गलती नहीं थी, असाधारण विलम्ब कारित कर आवश्यक सेवाएं प्रदान करने में कोताही बरती जिस कारण से यह परिवाद हर्जाने, अतिरिक्त व्यय की गई धनराशि तथा ब्याज वसूल करने के लिए संस्थित करना पड़ रहा है ।
2. क्षेत्राधिकार
कि परिवादी यह निवेदन करता है कि
परिवाद का कारण/हेतू उपभोक्ता विवाद
प्रतितोष आयोग - द्वितीय, गौतम बुद्ध
नगर के सक्षम क्षेत्राधिकार के अन्तर्गत
उत्पन्न हुआ है इसलिए परिवादी द्वारा इस
माननीय आयोग का प्रश्रय लेना न्यायसंगत
है । परिवादी सामान्यतया अपने इसी फ्लैट
संख्या ई-1106, अरिहंत आर्डेन में ही निवास
करता है ।
3. मर्यादा
यह भी उद्घोषित किया जाता है कि परिवादी
ने पहले इस मामले के निस्तारण हेतू सीधे
कोर्ट आने के स्थान पर त्वरित निपटान हेतू
न्यायालय के हस्तक्षेप के बगैर ही साक्ष्य के
आधार पर जिस तरह बुलडोज़र चलाने
तक की कार्रवाई उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा
तुरंत कर दी जाती है उसी तर्ज पर मेरे इस
छोटे से मामले का भी तुरंत निपटान कर
दिया जाएगा परन्तु समुचित सरकार के
जनसुनवाई पोर्टल से दिनांक 18/01/2025
को मुझे मेरे परिवाद के निस्तारण का SMS
मिला जिसमें 2 पृष्ठीय दिनांक 16/01/2025
की आख्या के अन्त में लिखा है कि सक्षम
न्यायालय द्वारा निपटान समीचीन होगा
इसलिए यह परिवाद दाखिल किया जा रहा
है।
(बतौर साक्ष्य संलग्नक पहला-दूसरा
(स्क्रीआनशॉट) तथा अतिरिक्त रजिस्ट्रेशन
शुल्क की दिनांक 10/11/2020 की रसीद)
4. मामले के तथ्य
4.1 कि विपक्षी ने अपने दिनांक 17/08/2018 के
ALLOTMENT LETTER द्वारा परिवादी
के दिनांक 04/08/2018 के आधार पर उसे
अपने “अरिहंत आर्डेन” हाउसिंग कॉम्प्लेक्स
के 11वें तल पर अपार्टमेंट संख्या ई-1106
आबंटित की थी । इसी पत्र के पृष्ठ 11-12
पर उल्लिखित मद संख्या 12.0 से लेकर
12.7 तक माननीय महोदय का विशेष रूप से
ध्यानाकर्षण इस आशय से चाहूंगा ताकि
इसका यथाशक्य यथार्थ मूल्यांकन किया जा
सके कि इतनी कठोरतम तथा अव्यवहारिक
शर्तों के चलते परिवादी तथा उसके
परिवारजनों कितना गहन मानसिक तथा
शारीरिक संताप झेला होगा और वह भी 2
अधिक रजिस्टरी में हुए विलंब की अवधि में।
(बतौर साक्ष्य संलग्नक तीसरा,चौथा तथा
पांचवां-पत्र के सुसंगत पेज 1, 11 व 12)
4.2 कि विपक्षी ने परिवादी की सेवा में दिनांक
30.08.2018 को LETTER TO
OFFER HANDOVER CUM
DEMAND जारी किया जिसके पृष्ठ 2 पर
मद संख्या 8 के आखिरी वाक्य में विपक्षी ने
कामतः और जानबूझकर यह गलत बयानी
की कि रजिस्टरी 7-8 दिन में हो जाती है
जबकि उस समय ही उसकी कुछ रजिस्ट्रियां
लम्बित थीं और इस प्रकार परिवादी
अधिनियम की धारा 2 की उपधारा 41(i) के
प्रश्रय के अधीन रजिस्ट्री में वहन किए गए
अतिरिक्त व्यय को मय ब्याज के वापस प्राप्त
करने का हकदार है ।
(बतौर साक्ष्य संलग्नक छठा, सातवां व
आठवां)
4.3 कि क्रमांक4.2 पर किए गए दावे को परिवादी
की दिनांक 06/07/2020 की ईमेल जिसके
उत्तर में विपक्षी की दिनांक 07/07/2018 की
ईमेल से रिजिस्ट्री के लिए परिवादी द्वारा आगे
प्रतीक्षा करने की इस शर्त पर कि “रजिस्टरी
प्रभार में इस बीच यदि कोई बृद्धि होती है तो
उसे विपक्षी वहन करेगा क्योंकि सारा विलंब
विपक्षी की अनुचित व्यापार प्रणाली से हो रहा
था” पर बनी स्पष्ट परस्पर सहमति पर कोई
शक-शुभा की गुंजाइश न छोड़ते हुए परिवादी
ने अपनी दिनांक 8/07/2020 की ईमेल द्वारा
एक बार पुनः पुष्टि भी कर दी थी साथ ही
विपक्षी को आपत्ति उठाने का दूसरा मौका भी
दे दिया था, परन्तु उस समय विपक्षी ने बिना
किसी आपत्ति के इस शर्त को स्वीकार करने
के बाद भी अभी तक इस विषय में अपने
दायित्व का शालीनतापूर्वक निर्वहन करने के
बजाय परिवादी तथा उसके परिजनों को
शारीरिक और मानसिक संताप से गुजरने को
बाध्य कर रखा है इस बात का भी उचित
ध्यान कृपया हर्जाने का निर्धारण करते समय
रखा जाए।
(बतौर साक्ष्य संलग्नक नवां, दसवां व
ग्यारहवां - तीनों ईमेल)
4.4 कि Stamp Duty Amount + Legal
Charges Rs. 2,89,900/- + 13,500/-
पर दिनांक 18.09.2018 से रजिस्ट्रेशन की
तारीख 10.11.2020 तक अनुचित रूप से
अपनी गलत trade practices के चलते
रोककर रखने के कारण कुल धनराशि
रु 3,03,400/- पर 18% ब्याज की दर से
कम 24 माह का ब्याज तथा ब्याज की इस
इस राशि पर रजिस्ट्रेशन की तारीख
10/11/2020 से भुगतान/अदायगी की
तारीख तक कम से कम 18% ब्याज की दर
से का आदेश जारी किया जाय क्योंकि
विपक्षी ने कामतः और जानबूझकर कर
परिवादी के साथ तयशुदा चीजों को भी समय
से न पूरा करके आर्थिक हानि पहुंचाई है ।
दावे के समर्थन में दिनांक 18.09.2018 का
NO DUES CERTIFICATE, Legal
Charges दर्शाती दिनांक 17.09.2018 की
Money Receipt, रजिस्टरी के पहले व
आखिरी पृष्ठ की प्रति जिस पर क्रमशः
Stamp Duty Amount तथा रजिस्टरी की
तारीख दर्शनीय है इसलिए इन सभी को संलग्न
कर रहा हूँ।
(बतौर साक्ष्य संलग्नक बारहवाँ, तेरहवां,
चौदहवां व पंद्रहवां)
5. समाप्त हो चुके उपचार
कि परिवादी उद्घोषित करता है कि विपक्षी को
इस निमित्त दिनांक 21.01.2021 को Final
Notice देने के बाद जिसकी प्राप्ति की
अभिस्वीकृति तक विपक्षी ने नहीं भेजी तथा
जनसुनवाई पोर्टल से भी समस्या का समाधान
न हो पाने के कारण परिवादी के पास इस
परिवाद को संस्थित करने के सिवा
कोई कानूनी उपचार नहीं बचा है ।
6. इस विषय में पहले से किसी कोर्ट में कोई
मामला संस्थित नहीं किया गया है न ही
लम्बित है
परिवादी यह भी उद्घोषित करता है कि उसने
विपक्षी के इस आक्षेपित कृत्य के विरुद्ध किसी
न्यायालय में वाद दाखिल नहीं कर रखा है ।
7. प्रार्थित अनुतोष
उपर्युक्त तथ्यों व परिस्थितियों के दृष्टिगत अति
सादर प्रार्थित है कि यह माननीय आयोग सहर्ष
निम्नलिखित अनुतोष प्रदान कर सकता है:-
अ) रजिस्टरी में खर्च की पूर्ण धनराशि वसूलने के
बाद भी 2 वर्ष से अधिक विलंब तथा ईमेलों
द्वारा तयशुदा शर्त की अवेहलना करके नया
विवाद खड़ा करने तथा क्रमांक 4.2 पर
उल्लिखित रजिस्ट्रेशन के लिए 7-8 दिन की
गलत समयावधि दर्शा कर दुर्भानापूर्वक
परिवादी को फंसाने के लिए रु 5,00,000/- तथा
मानसिक व शारीरिक संताप के लिए मात्र
रु 2,00,000/- के हर्जाने के भुगतान के लिए
आदेश ।
ब) परिवादी द्वारा वहन किए गए अतिरिक्त
रजिस्ट्रेशन शुल्क की राशि रु 58,120/-
दिनांक 10/11/2020 भुगतान की तारीख तक
18% ब्याज सहित परिवादी को यथाशीघ्र
परन्तु 1 माह के भीतर लौटाने का आदेश
स) क्रमांक 4.4 पर दिए गए विवरण के अनुसार
रु 3,03,400/- पर 18% ब्याज की दर से
विपक्षी के विरुद्ध परिवादी को यथाशीघ्र
परन्तु 1 माह के भीतर भुगतान का आदेश
द) इस परिवाद के खर्च के भुगतान का आदेश
च) परिवाद के तथ्यों और परिस्थितियों के दृष्टिगत
ऐसा कोई और / या अन्य आदेश जो इस
माननीय आयोग को समुचित प्रतीत हो
ऑनलाइन शुल्क जमा करने की जानकारी मिलने पर जमा कर दिया जाएगा ।
दिनांक
संलग्नक: विवरणिका / Index के अनुसार
Attachments
-
Screenshot_20250129-220201_Jansunwai, Uttar Pradesh.jpg264.3 KB · Views: 1
-
Screenshot_20250129-220558_Jansunwai, Uttar Pradesh.jpg197.1 KB · Views: 1
-
20201225_211515.jpg270 KB · Views: 1
-
20250129_210423.jpg959.1 KB · Views: 1
-
20250129_213156.jpg755.1 KB · Views: 1
-
20250129_213012.jpg868.4 KB · Views: 1
-
20210123_222924.jpg671.6 KB · Views: 1
-
20210123_223539.jpg640.1 KB · Views: 1
-
20210123_223839.jpg499 KB · Views: 1
-
20210123_233010.jpg172.4 KB · Views: 1